Royal Enfield Bullet Success Story in Hindi_रॉयल एनफील्ड सफलता की कहानी

Royal Enfield Bullet Success Story in Hindi_रॉयल एनफील्ड सफलता की कहानी
Royal Enfield Bullet

.Intro

:- 'Royal Enfield Bullet' की कुछ ऐसी बाते जीसे आप सुनकर सायद ही यकीन कर पाओ।

:-क्या आप को पता है की 'Royal Enfield Bullet' भारत की नही बल्कि एक दूसरे मुल्क की थी?

:- 'Royal Enfield Bullet' का एक वक्त ऐसा था कि इस कंपनी को कोई खरीद ही नही रहा था और फिर ऐसा क्या हुआ कि आज के समय मे करीब 150 से भी ज्येदा देशों में उतना ही फेमस है जितना कि भारत मे, आखिर भारत मे कब आई ये कंपनी, इस कंपनी की शुरुआत कब हुई, ऐसे कई सारे सवाल है जो आज आप को सब मालूम हो जाएगा।

तो चलो शुरू करते है...!


.Content

इस कंपनी की शुरुआत आज से करीब 130 साल पहले साल 1892 में 'इंग्लैंड' में हुई थी जिसको दो दोस्तों ने मिलकर स्टार्ट किया, जिसका नाम हम और आप बखूबी जानते है और वो है 'अल्बर्ट एडी एंड रॉबर्ट वाकर स्मिथ'।

जब इस कंपनी की शुरुआत हुई तो इसका नाम उस समय कंपनी के मालिक ने 'Eadie Manufacturing Limited' करके रखा जो उस समय बंदूक के छोटे-छोटे पार्ट्स को बनाया करती थी और आगे चलकर साल '1896' में इसी कंपनी के अंदर एक और कंपनी बनाई गई जिसका नाम इन्होंने 'The New Enfield Cycle Company' करके रखा जहां इसके अंदर ये कंपनी केवल साइकल के पार्ट्स को ही बनाया करती थी।

सब कुछ ठीक चल रहा था, कंपनी बोहोत ही प्रॉफिट में थी इस लिए कंपनी ने कुछ और नया करने को सोचा तभी तो इन्होंने दो चक्के की जगह चार चक्के वाली साइकल पर जोर दिया और आखिर कार साल '1899' में इस कंपनी ने अपनी पहली चार चक्के वाली साइकल को लोगो के बीच मे लाने में सफल हो गई और लोगो को खूब पसंद भी आया और उसके केवल दो साल बाद ही कंपनी ने साल '1901' में ही उसी साइकल पर एक इंजन लगाकर अपनी पहली गाड़ी को लांच किया अपनी इस लोकप्रियता को देखते हुए कंपनी ने चार चक्के पर जोर दिया पर बदकिस्मती से इनका ये बिज़नेस चल नही पाया और आखिर कार अपनी चार चक्के बनाने वाली कंपनी 'All Days Owners' को साल 1907 में बेच दिया, पर अभी भी इस कंपनी ने दूसरी तरफ दो चक्के पर काम करना छोड़ा नही था और वो लगातार उस पर काम किये जा रहे थे।

इस कंपनी को पहली बार सफलता तब मिली जब साल '1914' में पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने इनको बड़ा पैकेज दिया गाड़ी बनाने का अपने सैनिकों की लिए और इसी चीज़ को देखते हुए रशियन सरकार ने भी इनको गाड़ी बनाने का बड़ा पैकेज दिया और फिर क्या इस कंपनी ने इसके बाद से बोहोत तेज़ी से लोगो के बीच मे फैलने लगी क्योकि आगे चलकर ब्रिटिश सरकार ने अपने आर्मी वालो के लिए एक बड़े अस्तर पर कंपनी को गाड़ी बनाने का आर्डर दिया और देखते ही देखते ये कंपनी एक बड़े मुकाम पर पहुँच गई।


Royal Enfield Bullet भारत मे कब आई?

लेकिन अभी तक ये कंपनी भारत मे नही आई थी और साल 1949 में इसको पहली बार भारत मे लाया गया, पर इसको असली पहचान साल 1954 में मिली जब भारत ने अपने देश मे इंग्लैंड से 1000 से भी ज्येदा बाइक को अपने देश के आर्मी और पुलिस वालों के लिए मंगवाई, पर जब इसके पार्ट्स खराब होते तो उसको 'इंग्लैंड' से ही मंगवाते थे जिस्से बहोत दिक्कत होती थी इस लिए जब 'Enfield' भारत की कंपनी मद्रास से साल 1955 में जुड़ी तो आगे चलकर साल 1962 से भारत मे एक फैक्ट्री भी बनाई गई जो इसी की मशहूर बाइक मेसे एक '350 cc' को अपने ही देश मे बनाने लगी।


Royal Enfield Bullet का बुरा वक्त?

वही दूसरी तरफ 'Royal Enfield Bullet' का बुरा वक्त साल 1971 में 'इंग्लैंड' के अंदर बहोत ज्येदा घाटा हुआ और हाल ये हुआ कि इस कंपनी को बंद करना पड़ गया, पर इधर भारत मे अभी भी इसका क्रेज था पर ज्येदा दिन तक नही रहा क्योंकि भारत मे भी इसका यही हाल हुआ, इस कंपनी को बुरी तरह घाटा हुआ तब इसको 'Eicher Group' ने खरीद लिया।

Eicher Group के मालिक भारत के 'विक्रम सिंह' थे जो ये भी कंपनी को संभाल नही पाए पर तभी इनके बेटे 'सिद्धार्थ' ने युवायो को देखते हुए फिर से इस कंपनी कि गाड़ी को डिज़ाइन किया आगे के माहौल को देखकर जो बहोत ही ज्येदा पापुलर हुआ।

आप यकीन नही करोगे तब से लेकर अभी तक ये कंपनी सिर्फ आगे बढ़ी है, सफल हुई तभी तो साल 2013 में '81444' बाइक को बेचकर अगली साल अपने ही रिकार्ड को तोड़ा जो करीब 50% से भी ज्येदा था।

अगर बात करे आज के समय की तो ये बाइक सिर्फ भारत मे ही नही बल्कि 150 से भी ज्येदा देशों में फेमस है और ये आंकड़ा हर साल बढ़ता ही रहता है।

इस कंपनी के साथ एक वक्त ऐसा था कि दिवालियो की कगार पर थी पर 'सिद्धार्थ' जो फिलहाल इस कपनी के मालिक है उन्होंने आज के हिसाब से, युवाओं के हिसाब, बेहतरीन से बेहतरीन डिज़ाइन करके लोगो के सामने बुलेट को लाते गये और कुछ इस तरह से इस कंपनी को डूबते हुए बचा लिया और आज के समय मे ये कंपनी किस मुकाम पर है वो सायद किसी को बताने की कोई जरूरत नही


.Outro

वैसे इस कंपनी के साथ बोहोत ही उतार चढ़ाव रहा पर एक चीज़ थी जो इसे सफल बनाने में कोई कसर नही छोड़ी वो थी कभी न हार मानने वाली जिद, तभी तो आज चट्टान की तरह हर युवा के दिलो की धड़कन बनी हुई है, वैसे आप को क्या लगता है इस कंपनी की गाड़ी को लेकर वो हमे नीचे जरूर से कमेंट्स करके बताए, अगर आप को हमारा ये 'Artical' पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के पास जरूर से शेयर करना, जबकि आप को कोई 'Topic' पे कोई भी 'Artical' चाहिए तो हमे नीचे जरूर से उसका नाम बताए, आप का बहुमूल्य समय देने के लिए बोहोत-बोहोत धन्यवाद।

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