transformer working diagram


What is a transformer & working diagram


transformer working

इसमें हम को बतायेगे की ट्रांसफार्मर क्या होता है, इसकी वर्किंग क्या है, ये कैसे काम करता है, इसमें कौन-कौन से पार्ट्स होते है और ये किस चीज का बना हुआ होता है, एकदम पूरी जानकारी वो भी हिंदी में।


ट्रांसफार्मर क्या है..?

transformer working diagram
ट्रांसफार्मर एक तरह का स्टेटिक डिवाइस होता है जो ट्रांसफॉर्म करता है एक इलेक्ट्रिक सर्किट को दूसरी इलेक्ट्रिक सर्किट में और इसी लिए हम इसको ट्रांसफार्मर कहते है।


ट्रांसफार्मर के पार्ट्स क्या है..?


ये मेनली थ्री टाइप्स का होता है।

(1) प्राइमरी वाइंडिंग.

ये ट्रांसफार्मर के अंदर एक तरफ लगा हुआ होता है, इसको हम प्राइमरी वाइंडिंग इस लिए बोलते है किउंकि हम इसके अंदर इलेक्ट्रिक करंट AC को प्रोवाइड करते है जीसकी वजह से सेकेंडरी वाइंडिंग के अंदर वोल्टेज उतपन्न होता है करंट उतपन्न होती है।


(2) सेकेंडरी वाइंडिंग.

प्राइमरी वाइंडिंग से ही आप समझ गये होंगे कि सेकेंडरी वाइंडिंग किसे कहते है, जब प्राइमरी वाइंडिंग में AC सप्लाई होगी तभी सेकेंडरी वाइंडिंग में वोल्टेज उतपन्न होगी।


(3) कोर.

transformer working diagram

अगर आप Differential के बारे में पूरी जानकारी पाना चाहते है तो नीचे दिये हुए लिंक पर क्लिक कर के एकदम आसान भासा में रीड कर सकते है...।

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कोर का काम होता है कि प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग को जोड़कर के रखे, यही कोर का काम होता है।


कोर का यूज़ किउ करते है..?

ये सभी जानते है कि ट्रांसफार्मर जो हमारा होता है वो इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंडक्शन पे काम करता है, अब इसका मतलब क्या होता है वो बताते है, मान लो आप के पास एक प्राइमरी वाइंडिंग है जीसके अंदर आप AC सप्लाई करते है और उसी के ठीक सामने एक दूसरी वाइंडिंग है सेकेंडरी जीसे आप खसका कर थोड़ा करीब प्राइमरी वाइंडिंग के करीब करदे तो फिर क्या होगा।

फिर जो हमारी प्राइमरी वाइंडिंग के अंदर से AC सप्लाई होगी तो उससे इसके अंदर करंट फॉलो होगी, और उसी की वजह से पूरे प्राइमरी वाइंडिंग के अंदर इलेक्ट्रिक मैग्नेटिक फील्ड उतपन्न होगी।

जैसे-जैसे वो इलेक्ट्रिक मैग्नेटिक फील्ड उतपन्न होती जायेगी वैसे-वैसे वो बढ़कर सेकेंडरी वाइंडिंग को भी अपने अंदर लेकर उसके अंदर भी करंट को फॉलो कर देंगी।


करंट किउ सेलो मिलती है...?

आप जानते है करंट किउ सेलो मिलती है, किउंकि प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग के बीच मे जितनी कम गैप होगी जीसे हम एयर गैप बोलते है उतनी कम करंट हमको मिलेगी, ऐसा इस लिए किउंकि जो इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड प्राइमरी वाइंडिंग के अंदर से निकलने के बावजूद भी सेकेंडरी वाइंडिंग को अपने अंदर नही ले पाती तो उनके बीच मे उतनी गैप बन जाती है, इसके लिए हम कोर का यूज़ करते है ताकि इलेक्ट्रिक करंट ज्येदा मिले।

अगर प्राइमरी वाइंडिंग के टर्म्स सेकेंडरी वाइंडिंग के टर्म्स के बराबर हो तो उनके अंदर से निकलने वाली करंट एकदम बराबर होगी।

और वही अगर प्राइमरी वाइंडिंग का टर्म्स ज्येदा हुआ तो सेकेंडरी वाइंडिंग का टर्म्स कम होगा, पर अगर वही सेकेंडरी वाइंडिंग का टर्म्स ज्येदा हुआ तो प्राइमरी वाइंडिंग का टर्म्स कम होगा तो उनको उन्ही के हिसाब से करंट भी कम ज्येदा होती रहती है।

अगर सेकेंडरी वाइंडिंग का टर्म्स ज्येदा हुआ तो उसे हम स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते है।

अगर सेकेंडरी वाइंडिंग का टर्म्स कम हुआ तो उसे हम स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते है।

ट्रांसफार्मर की एक खासियत होती है इसके अंदर जो पावर होती है वो कभी बदलती नही फिर वो चाहे प्राइमरी वाइंडिंग हो या फिर वो चाहे सेकेंडरी वाइंडिंग हो।      

                                                         P=VI                                                                  पावर=वोल्टेज×करंट

                            जीके क्वेश्चन

ट्रांसफार्मर हमारा इलेक्ट्रो मैग्नेटिक इंडक्शन पे काम करता है।


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पोस्ट को पढ़ने के लिए शुक्रिया, और ऐसी कई सारी पोस्ट के लिए हमारे इस website को फॉलो कर ले किउंकि हम इसपे ऑटोमोबाइल और प्रोडक्शन से रेलेटेड पोस्ट को डालते रहते है एकदम आसान भासा में जीसे आप आसानी से पड़ सके और अपने दोस्तों के पास शेयर कर सके, अगर आप को किसी टॉपिक पर कोई भी आर्टिकल चाहिए हो तो आप हमें नीचे कमेंट्स करे।

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